कवि का बढ़ जाता अनुराग, विरहाकुल कमनीय कंठ से, आप निकल पड़ता तब एक विहाग! कवि का बढ़ जाता अनुराग, विरहाकुल कमनीय कंठ से, आप निकल पड़ता तब एक विहाग!
नई किरणों के संग,नया सवेरा आ गया! देखा एक सुंदरी,दिल उसपे मेरा आ गया!! सभ्य थी,सुशी नई किरणों के संग,नया सवेरा आ गया! देखा एक सुंदरी,दिल उसपे मेरा आ गया!! ...
कुचली काया कली नाजुक सी कुचली काया कली नाजुक सी
तेरी अर्धांगिनी मैं कहलाई हूँ फिर भी मैं पराई हूँ। तेरी अर्धांगिनी मैं कहलाई हूँ फिर भी मैं पराई हूँ।
कभी आओ बाहर सपनों से मुझे स्वप्न सुंदरी सी लगती हो। हर पल गुनगुनाना चाहे दिल तुम वही सरगम सी लगती ह... कभी आओ बाहर सपनों से मुझे स्वप्न सुंदरी सी लगती हो। हर पल गुनगुनाना चाहे दिल तु...
इस कथा में आत्मा बसी जहान की क्यों राम जी से दूर जा रही है जानकी। इस कथा में आत्मा बसी जहान की क्यों राम जी से दूर जा रही है जानकी।